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कविता

बोध

महेन्द्र भटनागर


भूल जाओ
मिले थे हम
            कभी!
चित्र जो अंकित हुए
सपने थे
           सभी!

भूल जाओ -
रंगों को
बहारों को,
देह से : मन से
गुजरती
कामना-अनुभूत धारों को!

भूल जाओ -
हर व्यतीत-अतीत को,
गाए-सुनाए
गीत को : संगीत को!


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हिंदी समय में महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ